
बैंगलोर इंडिया
रात का समय
"बैंगलोर को इंडिया का सबसे जाना माना और बड़ा देश कहा जाता है यहां हर चीज बेहद खूबसूरत है बड़ी बड़ी इमारत वहा की खूबसूरती को चार चांद लगा रही थी."
"लेकिन कहते है ना कभी कभी बंद महलों में खुशियां नही बेहसाब दर्द देता है महलों में रहने वाला हर कोई शहजादा नही होता कभी कभी उन महलों में इंसान के रूप राक्षस भी रहते है."
"बैंगलोर में एक बड़ा सा विला जो काफी खूबसूरत था उस विला के बाहर एक नेम प्लेट थे जिसमे बड़े बड़े अक्षरों मे A.K विला लिखा था जो रात की रौशनी में और चमक रहा था उस विला के आस पास काफी टाइट सिक्योरिटी थी जो विला के चप्पे चप्पे पर नजर बनाए हुए थे क्युकी इस विला का मालिक एक billionare था जिसके हजारों दुश्मन थे."
"उसी विला के एक master bed room में एक आदमी एक लड़की के अंदर समाया हुआ था और वो लड़की की सिसकियां और चीखे किसी के भी रूह को हिला सकती थी वो लड़की दर्द में तड़पते हुए उस आदमी को दूर करने की कोशिश कर रही थी."
"वो लड़की जितना उस आदमी को दूर करने की कोशिश कर रही थी वो आदमी उसके साथ और rough हो रहा था ना जाने रात के किस पहर उस लड़की की सिसकियां बंद होती है वो लड़की दर्द की शिद्दत को सहन कर बेहोश हो जाती है वो आदमी उसे ऐसे ही अपनी बाहों में भरकर सो जाता है."
अगली सुबह
"धूप की हल्की किरण उस आदमी की चेहरे पर पड़ती है धूप पड़ते ही वो आदमी उठकर एक नजर उस लड़की को देखता है और अपना lower पहनकर gym चला जाता है."
"जिम एरिया में वो आदमी पसीने से लथपथ gym कर रहा था उस आदमी के सिक्स पैक्स इस बात के गवाह थे की वो घंटो gym करता है उसका बेदाग गोरा चेहरा उसकी brown eyes जो इमोशंसलैस थी तीखी नाक सख्त पतले नेचुरल पिंक होट जो उसे और भी हॉट बना रहे थे उसकी उम्र 28 साल है."
"वो बिल्कुल परफेक्ट था वो इतना हैंडसम था हर लड़की उसे पाने की चाहत रखती है लेकिन वो किसी को अपने आस_पास भी भटकने नहीं देता."
"ये आदमी हमारे कहानी के नायक अबीर खन्ना है अबीर का नाम बिजनेस की दुनिया में हर शहर हर देश में फैला हुआ है."
"अबीर टॉवल से पसीना साफ करते हुए रूम में आता है वो लड़की अभी भी bed पर सो रही थी वो एक नजर उसे देखता है और शावर लेने चला जाता है."
"कुछ देर बाद वो तैयार होकर सीढ़ियों से उतरता हुआ आता है उसने एक ब्लैक कलर का बिजनेस सूट पहना हुआ था वो नीचे आया है और डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है."
"इसके आते ही सभी नौकर एक एक करके नाश्ता लगाने लगता हैं."
"कुछ देर बाद ये नाश्ता करता है और नैपकिन से हाथ साफ करते हुए एक नौकरानी से कहता है _ मैडम उठ जाए तो उन्हें कह देना ऑफिस आ जाए."
"नौकरानी सर झुकाकर कहती है_जी साहब."
"अबीर नाश्ता करके ऑफिस चला जाता है वही मास्टर बेड रूम में उस लड़की की आंख खुलती है वो बेड से उठती है तो उसकी जोरदार चीख निकल जाती है वो दर्द की शिद्दत से आंखे बंद कर लेती है कुछ आंसू उसके गाल पर लुढ़क कर आ जाते है वो लड़की अपने आंसू साफ कर ब्लैंकेट लपेटकर लगड़ाते हुए बाथरूम में घुस जाती है."
"वो लड़की गरम पानी का शावर ऑन कर बाथटब में बैठ जाती है कुछ देर में वो miroor के सामने खड़ी थी और अपने शरीर को देख रही थी उसके शरीर पर जगह जगह काटने के निशान थे उसके ज़ख्म बता रहे थे की रात अबीर ने उसके साथ किस तरह दरिंदगी की है."
"वो लड़की अपने आंसू को साफ करके कहती है_कंट्रोल मायरा कंट्रोल ये पहली बार नहीं हुआ जो मिस्टर खन्ना ने ऐसी दारिदगी की है."
"जी ये है हमारी कहानी की नायिका मायरा वर्मा ये एक मिडिल क्लास फैमिली से बेलोंग करती है इसकी उम्र 19 साल है मायरा का रंग गोरा और चेहरा बेदाग है उसकी तीखी नाक मुलायम पिंक होट हर लड़का अपना दिल हार जाए उसपर वो इतनी खूबसूरत थी."
"मायरा अपनी आंखे बंद कर अपनी पिछली जिंदगी को बारे में सोचने लगती है."
फ्लैशबैक शुरू
दो महीने पहले
बैंगलोर, भारत
एक कमरे में एक लड़की, दुनिया से बेख़बर, आराम से बिस्तर पर सो रही थी। उसके लम्बे बाल बिस्तर पर बिखरे पड़े थे। उसका चेहरा बालों से ढँका हुआ था। लड़की नींद में करवट लेती है, तो उसके सारे बाल दुबारा बिस्तर पर बिखर जाते हैं और उसका चेहरा दिखने लगता है, जो बिलकुल बेदाग था, जो धूप की किरणों से और चमक रहा था। यह कोई और नहीं, मायरा थी।
तभी उस कमरे में एक चालीस साल की औरत आती है। वह भी काफी खूबसूरत थीं। उनका नाम सुधा था, जो मायरा की माँ थीं। सुधा उसके ऊपर से कम्बल हटाते हुए कहती हैं, "मायरा, उठ जाओ बच्चे, कॉलेज जाना है ना।"
"मम्मा, बस कुछ देर और सोने दो।" मायरा ने कम्बल दुबारा ढँकते हुए कहा।
"उठ जाओ चुपचाप मायरा, मैं मार्केट जा रही हूँ। तुम कॉलेज चली जाना, नाश्ता बना दिया है मैंने।" मायरा की माँ ने एक बार फिर उसके ऊपर से कम्बल हटाते हुए कहा।
मायरा ने कम्बल को फिर से अपने ऊपर ढँक लिया और नींद भरी आवाज़ में कहा, "जी मम्मा।"
सुधा उसे इस तरह देखकर नाराज़गी में सिर हिलाती हैं, जैसे कहना चाहती हों, 'इस लड़की का कुछ नहीं हो सकता।' वह मायरा को एक नज़र देखकर कमरे से बाहर चली जाती हैं।
मायरा एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखती थी। उसकी माँ के सिवा कोई नहीं था। मायरा के पिता, रोहन वर्मा, तीन साल पहले एक एक्सीडेंट में गुज़र चुके थे। रोहन जी खन्ना फैमिली के ड्राइवर थे। रोहन जी के पूर्वज बरसों से खन्ना फैमिली के लिए काम करते थे, इसलिए रोहन वर्मा खन्ना फैमिली के ड्राइवर बने। मायरा के पिता के गुज़र जाने के बाद सुधा जी ने जॉब करके मायरा का ख्याल रखा।
कुछ देर में मायरा तैयार होकर बाहर आती है। पता नहीं क्यों, पर उसे अजीब सी घबराहट हो रही थी। वह अपनी सोच में गुम थी। तभी उसका फ़ोन बजता है। फ़ोन की आवाज़ सुनकर उसका ध्यान टूटता है और वह जाकर फ़ोन उठाती है। फ़ोन पर 'मम्मा' फ़्लैश हो रहा था। वह बालों को जूड़ा बनाते हुए कहती है, "जी मम्मा, बोले?"
मायरा के "हेलो" बोलते ही दूसरी तरफ़ से आवाज़ आती है, "हेलो, जिसका यह फ़ोन है, उनका बहुत बुरा एक्सीडेंट हो गया है। हम उन्हें सिटी हॉस्पिटल लेकर जा रहे हैं। आप भी वहीं आ जाएँ।"
इतना कहकर फ़ोन कट जाता है। एक्सीडेंट की ख़बर सुनकर मायरा का फ़ोन हाथ से छूटकर गिर जाता है। वह तो एकदम जम गई थी। उसे होश ही नहीं था। अपने पिता को खोने के बाद उसके पास सिर्फ़ उसकी माँ थी, जो उसे बेहद अज़ीज़ थी। वह उन्हें किसी भी कीमत पर नहीं खो सकती थी। मायरा ज़मीन पर गिर जाती है और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगते हैं। उसके कानों में एक बार फिर वही आवाज़ गूंजती है, "जिसका यह फ़ोन है, उनका एक्सीडेंट हो गया है।" मायरा अपने होश में आती है और खड़ी होती है। वह ऐसे बैठ नहीं सकती थी। उसे अपनी मम्मा के पास जाना था। वह "मम्मा, मम्मा" चीखती हुई बाहर की तरफ़ भागती है।
और कुछ देर में वह हॉस्पिटल में आईसीयू बोर्ड के बाहर खड़ी, रोती हुई, अपनी मम्मा को देख रही थी। उसकी हँसती-खेलती ज़िंदगी पल में बदल गई थी। वह अपनी मम्मा को बिस्तर पर देखकर टूट रही थी। उसकी मम्मा उसका इकलौता सहारा थी। वह अपनी सोच में गुम थी। तभी हॉस्पिटल के बाहर चार-पाँच गाड़ियाँ रुकने की आवाज़ आती है और एक शख्स, जिसने थ्री पीस सूट पहना था, आस-पास के लोग उसे देख रहे थे, लेकिन वह बॉडीगार्ड से घिरा हुआ था, जिससे कोई उसका चेहरा नहीं देख पा रहा था।
बॉडीगार्ड से घिरा हुआ शख्स हॉस्पिटल के अंदर आता है और चलते हुए ठीक मायरा के सामने आकर खड़ा हो जाता है और भारी आवाज़ में कहता है, "कैसी हो, Sunshine?"
किसी की भारी आवाज़ सुनकर मायरा नज़र उठाकर देखती है और हैरानी से दो कदम पीछे हट जाती है क्योंकि अबीर उसके ठीक सामने खड़ा था, जिससे वह एक पल के लिए डर गई थी। उसके पीछे हटते ही उस शख्स के चेहरे पर डेविल स्माइल आ जाती है। यह कोई और नहीं, बल्कि अबीर था।
"आप यहाँ क्या कर रहे हो? आपकी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की?" मायरा ने उसे यहाँ देखकर हैरानी और गुस्से में कहा।
अबीर उसकी बात सुनकर डेविल स्माइल करता है और उसके आगे-पीछे चक्कर लगाते हुए कहता है, "My innocent sunshine, माँ हॉस्पिटल के बिस्तर पर आखिरी साँसें गिन रही है और तुम्हारी अकड़ तो ख़त्म ही नहीं हो रही है। वैसे मानना पड़ेगा, रस्सी जल गई, लेकिन बल नहीं गया।"
"आप जाएँ यहाँ से! आप क्यों आए हो? मैं आपके साथ अभी बहस नहीं कर सकती, Mr. अबीर खन्ना।" मायरा उसकी बातें सुनकर उस पर भड़कते हुए कहती है।
मायरा के पिता, रोहन जी, अबीर के यहाँ काम करते थे, इसलिए कभी-कभी मायरा वहाँ जाती थी, तो वह अबीर को अच्छी तरह पहचानती थी।
"तुम्हारी मदद करने आया हूँ, my innocent sunshine।" अबीर उसकी अकड़ देखकर तिरछी स्माइल करते हुए कहता है।
"मुझे नहीं चाहिए आपकी मदद। आप जाएँ यहाँ से।" मायरा उसकी बात सुनकर उसे इग्नोर करके वहाँ से जाते हुए कहती है।
अबीर उसकी अकड़ देखकर उसकी कलाई पकड़ता है और अपने नज़दीक खींच कर कहता है, "तुम्हारे बाप ने मेरा पूरा परिवार ख़त्म कर दिया और तुम मुझे अकड़ दिखा रही हो। ख़ैर, अब बदले का वक़्त आ गया है। वह सुना है ना, माँ-बाप के कर्मों का फल बच्चे को भुगतना पड़ता है। बाप तो तुम्हारा है नहीं, तो अब तुम बनोगी मेरा मोहरा।"
"मेरे बाबा ने कुछ नहीं किया। वह सिर्फ़ एक एक्सीडेंट था।" मायरा उसकी बात सुनकर अपनी कलाई को छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहती है।
अबीर आगे कुछ कहता, तभी वहाँ डॉक्टर आ जाते हैं, जिससे अबीर मायरा को छोड़ देता है। डॉक्टर मायरा के पास आकर कहते हैं, "मिस मायरा, हमे आपकी माँ का बहुत blood loss हुआ है। हमे फ़ौरन उनकी सर्जरी करनी होगी, वरना उनकी जान भी जा सकती है। आप सर्जरी के लिए तीस लाख ट्रांसफ़र करा दीजिये।"
तीस लाख सुनकर मायरा की आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं और वह धड़ाम से चेयर पर बैठ जाती है। तीस लाख कोई छोटी रकम नहीं थी। मायरा ने आज तक कभी तीस लाख नहीं देखे थे। उसे इस हालात में देखकर अबीर के चेहरे पर डेविल स्माइल आ जाती है।
"तीस लाख, मैं कहाँ से लाऊँगी डॉक्टर?" मायरा डॉक्टर की बात सुनकर रोते हुए कहती है।
"सॉरी मिस, पर जब तक आप पैसे जमा नहीं करेंगे, तब तक हम सर्जरी नहीं कर सकते।" डॉक्टर उसकी बात सुनकर कहते हैं।
"ऐसे कैसे नहीं करेंगे? मेरी माँ को कुछ नहीं होना चाहिए।" मायरा उनकी बात सुनकर गुस्से में कहती है।
"हम बिना पेमेंट के सर्जरी स्टार्ट नहीं कर सकते। रूल इस रूल। आपकी माँ के पास दो घंटे हैं। अगर दो घंटे में उनकी सर्जरी स्टार्ट नहीं की तो उनकी जान भी जा सकती है।" डॉक्टर उसकी बात सुनकर कहते हैं।
इतना कहकर डॉक्टर चले जाते हैं। मायरा अपना चेहरा ढँककर रोने लगती है। वह बहुत मुश्किल में थी। यह सिर्फ़ वही जानती थी। कहाँ से लाएगी वह इतने पैसे? यही सोचकर वह और घबरा रही थी।
उसे इस तरह तड़पता देखकर अबीर को सुकून मिल रहा था। वह उसके पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखकर तिरछी स्माइल करते हुए कहता है, "मेरे पास एक ऑफ़र है तुम्हारे लिए, sunshine। मैं तुम्हें तीस लाख दे सकता हूँ।"
"मुझे नहीं चाहिए आपका ऑफ़र। चले जाएँ आप यहाँ से। मेरे पास आपकी बकवास के लिए फ़ालतू वक़्त नहीं है। मुझे मेरी माँ को बचाना है।" मायरा उसकी बात सुनकर उसके हाथ को अपने कंधे से हटाती है और कहती है।
"कोशिश करके देख लो। अगर तीस लाख न मिले तो मेरे विला चली आना। मुझे तुम्हारा इंतज़ार रहेगा, sunshine।" अबीर उसे देखकर वहाँ से जाते हुए कहता है।
इतना कहकर अबीर वहाँ से चला जाता है और मायरा उसे जाता हुआ देखती रहती है। उसका कोई रिश्तेदार भी नहीं था। वह किससे मदद लेती? उसके पास सिर्फ़ उसके दोस्त थे जो उसकी मदद कर सकते थे। यही सोचकर वह अपने दोस्तों को फ़ोन करती है, लेकिन उसके सारे दोस्त उसकी हेल्प करने से मना कर देते हैं। उसने नहीं सोचा था कि वह जिन दोस्तों की मदद करती थी, वे सारे दोस्त आखिरी वक़्त में उसका साथ छोड़ देंगे। सच कहते हैं, मुसीबत के वक़्त कोई काम नहीं आता।
सब तरफ़ से उम्मीद हारकर मायरा रोने लगती है। एक घंटा गुज़र चुका था। उसके पास सिर्फ़ एक घंटा बचा था। वह अपने चेहरे को छुपाकर एक बार फिर रोने लगती है और खुद से कहती है, "भगवान जी, मेरी माँ ने तो हमेशा आपको पूजा है। मेरी माँ को बचा लो। मेरी मदद करो। एक घंटे में तीस लाख का इंतज़ाम कैसे करूँ?"
मायरा रो रही थी, तभी उसे अबीर की बात याद आती है और वह अपने आँसू साफ़ करते हुए कहती है, "अब मेरे पास एक ही रास्ता है।"
मायरा गहरी साँस लेकर बाहर आती है और टैक्सी में बैठ जाती है। कुछ देर में उसकी कार A.K. विला आकर रुकती है। वह बाहर से विला को देखती है, जो बेहद खूबसूरत लग रहा था। वह एक बार फिर लम्बी साँस लेती है और हिम्मत करके अंदर जाती है। बाहर बहुत सारे बॉडीगार्ड थे, लेकिन उसे किसी ने नहीं रोका।
अंदर अबीर सोफ़े पर पैर पर पैर चढ़ाए सिगरेट के लम्बे-लम्बे कश भर रहा था। मायरा को आते देख अबीर के चेहरे पर शैतानी मुस्कराहट आ जाती है। वह अपनी सिगरेट को अपने हाथों से बुझा देता है और खड़ा हो जाता है और मायरा को देखते हुए कहता है, "Welcome, sunshine। मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था।"
"मुझे आपके सारे ऑफ़र मंज़ूर हैं। मुझे तीस लाख चाहिए, अभी।" मायरा उसके सामने खड़े होकर अपनी लाल आँखों से उसकी आँखों में देखते हुए कहती है।
"सोच लो, sunshine। एक बार अबीर खन्ना के जाल में फ़ँस गई तो निकालना नामुमकिन हो जाएगा।" अबीर उसकी बात सुनकर तिरछी गर्दन करके उसे देखता है और कहता है।
"मेरे पास वक़्त नहीं है। मुझे तीस लाख चाहिए। आपका जो भी ऑफ़र है, मुझे वह मंज़ूर है।" मायरा उसे गुस्से में घूरते हुए कहती है।
अबीर और मायरा बात कर रहे थे, तभी अबीर का असिस्टेंट, अंश, कुछ कागज़ लेकर आता है। अबीर टेढ़ी मुस्कराहट के साथ अंश से कहता है, "sunshine को पढ़कर सुनाओ, अंश। इस कागज़ में क्या लिखा है।"
"जी बॉस।" अंश अबीर की बात सुनकर कागज़ को देखकर कहता है।
अंश कागज़ पढ़ना शुरू करता है, "मिस मायरा वर्मा, अबीर खन्ना आपको आपकी माँ के इलाज के लिए तीस लाख देंगे, लेकिन उस तीस लाख के बदले अबीर खन्ना आपको खरीद रहे हैं और आपको उनकी हर बात माननी होगी। आप दुनिया के सामने उनसे कोई मतलब नहीं रखेंगी। वह जब चाहे आपके साथ शारीरिक संबंध बना सकते हैं। आपको उन्हें रोकने का कोई हक़ नहीं होगा। आप सिर्फ़ उनकी रखैल होंगी। अगर आपने कोई भी रूल तोड़ा तो आपको अबीर खन्ना को पाँच करोड़ देने होंगे।"
यह सुनकर मायरा के पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है।
फ्लैशबैक जारी...
Write a comment ...